❖ घटिया निर्माण सामग्री से बिगड़े हालात
गांव के दिलीप पुसाम, बसोरी लाल बर्मन, मंगलौ बाई, हिरदो बाई और सुदामा बाई ने बताया कि रंगमंच निर्माण में मुरुम की जगह सस्ती मिट्टी डलवा दी गई, जिससे मुख्य मार्ग पर कीचड़ फैल गया है। निर्माण सामग्री बीच सड़क पर फेंक दी गई, जिससे ग्रामीणों का आना-जाना मुश्किल हो गया है।
सीमेंट की बोरियां महीनों से यूं ही पड़ी हैं, जो अब पूरी तरह खराब हो चुकी हैं। रंगमंच को आंगनबाड़ी केंद्र के बेहद पास बनाया जा रहा है, जिससे बच्चों का स्कूल आना-जाना बाधित हो गया है। फैली हुई सामग्री के कारण छोटे बच्चे गिरकर घायल हो रहे हैं, और मोहल्ले वालों को आंगनबाड़ी तक पहुँचने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है।
❖ मजदूरी नहीं मिली, मजदूर भी नाराज़
रंगमंच निर्माण में लगे राजेंद्र उइके, मथन सिंह, महिमा बाई, चेतू लाल जैसे कई मजदूरों ने शिकायत की है कि उन्हें अभी तक पूरी मजदूरी नहीं मिली। काम अधूरा छोड़ दिया गया, जिससे उनकी मेहनत और उम्मीद दोनों अधूरी रह गईं।
गांव के सेवलाल मरावी, सुखराम उइके, बलमत उइके, रामबाई, लोंगा बाई, मंगू बाई, शिव प्रसाद बर्मन, शंकर लाल, बलदेव सिंह सहित अनेक ग्रामीणों ने इस विषय में तत्काल कार्यवाही की मांग की है।
❖ जिम्मेदारों की सफाई
जब पंचायत सचिव रवि उईके से इस संबंध में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा—
दूसरी किस्त की राशि अब तक जारी नहीं हुई है, इसी वजह से कार्य बीच में रुक गया है। जल्द ही निर्माण कार्य को दोबारा शुरू किया जाएगा।
बींझा गांव में रंगमंच निर्माण की यह योजना, जो गांव के सांस्कृतिक विकास का आधार बन सकती थी, अब अव्यवस्था, अनदेखी और प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बन चुकी है। अधूरा पड़ा निर्माण ग्रामीणों के लिए जहां एक ओर असुविधा का कारण है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या जनप्रतिनिधि केवल योजनाएं शुरू कर तस्वीर खिंचवाने तक सीमित रह गए हैं? ग्रामीणों की मांग है कि जिम्मेदारों पर तत्काल कार्रवाई की जाए और रंगमंच निर्माण शीघ्र पूर्ण कराया जाए।
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