राशन लेने के लिए करना पड़ता है 14 किलोमीटर का सफर
खमरिया गांव के चंदूलाल बर्मन, अनिल भवेदी, वंदना बाई, संतोष और मनोज जैसे ग्रामीणों का कहना है कि यहां राशन दुकान गांव में न होकर लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित है, जिससे उन्हें आने-जाने में 14 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। इसके साथ ही, वाहन भाड़ा और समय की बर्बादी से यह सस्ता राशन महंगा सौदा बन जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि ₹1-2 प्रति किलो मिलने वाला अनाज उन्हें ₹100-₹200 के खर्च के बाद मिलता है, जिससे गरीबों की जेब पर सीधा असर पड़ता है।
अनियमित वितरण और समय की लापरवाही
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि डीलर द्वारा नियमित रूप से राशन उपलब्ध नहीं कराया जाता। कभी-कभी दो से तीन माह तक उन्हें राशन नहीं मिलता, जिससे उनके समक्ष भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
प्रति कार्ड ₹50 की अवैध वसूली का आरोप
ग्रामीणों ने राशन डीलर यश विश्वकर्मा पर प्रत्येक राशन कार्डधारी से ₹50 वसूलने का भी आरोप लगाया है। यह रकम तौल, हिसाब-किताब और वितरण में सहयोग करने वाले डीलर के लोगों द्वारा ली जाती है। हाल ही में हुई ग्रामसभा में वार्ड पंच भगवती बाई मुन्ना और सरपंच इंदर सिंह तिलकाम को भी यह शिकायतें दी गईं। ग्रामीणों ने मांग की है कि डीलर को तत्काल हटाकर खाद्यान्न वितरण का जिम्मा महिला स्व-सहायता समूह को सौंपा जाए।
फिंगरप्रिंट और केवाईसी बना बाधा
गांव के गंगाराम भवेदी ने बताया कि केवाईसी की प्रक्रिया पूरी न होने और अंगूठे के निशान मेल न खाने की वजह से उन्हें अप्रैल माह से राशन नहीं मिला। इस तरह की समस्या कई हितग्राहियों को झेलनी पड़ रही है, जिससे वे लगातार हक से वंचित हो रहे हैं।
राशन कार्ड है, लेकिन पात्रता पर्ची नहीं
गांव के धरम, राहुल, संतोष और मनोज ने बताया कि चार महीने पहले उनके राशन कार्ड तो बने हैं, लेकिन अब तक पात्रता पर्ची नहीं मिलने के कारण वे राशन नहीं ले पा रहे हैं। इससे उनके राशन कार्ड भी निरर्थक हो गए हैं।
ग्रामीणों की स्पष्ट मांग: जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो
भूरा बर्मन, अनिल भवेदी, रेनका प्रसाद, बसंती बाई, कोमल बर्मन, छोटेलाल, सुक्कू बाई बर्मन समेत कई ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि अनियमितता करने वाले राशन डीलर पर सख्त कार्रवाई हो और गांव में ही स्थायी राशन वितरण केंद्र की स्थापना की जाए।
प्रशासन का पक्ष
इंदर सिंह तिलकाम, सरपंच ग्राम पंचायत मगरधा का कहना है,
हमें इस संबंध में जानकारी मिली है, राशन के बदले पैसा वसूलना गलत है। खाद्य विभाग से मांग की जाएगी कि गांव में ही राशन वितरण सुनिश्चित हो और सभी शिकायतों की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई हो।
राशन डीलर का पक्ष
यश विश्वकर्मा, राशन डीलर, सेवा सहकारी समिति मगरधा ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा,
सरकार से किसी प्रकार का परिवहन भत्ता नहीं मिलता। खमरिया और बिजोरा के लोग मगरधा आकर ही राशन लें, क्योंकि दूसरी जगह का किराया मुझे अपनी जेब से देना पड़ता है। मैं सिर्फ पुरानी व्यवस्था का पालन कर रहा हूं।
खमरिया गांव में राशन वितरण प्रणाली की यह दुर्दशा न केवल ग्रामीणों के अधिकारों का हनन है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की स्पष्ट तस्वीर भी प्रस्तुत करती है। ग्रामीणों की आवाज अब बुलंद हो रही है, जरूरत है कि शासन-प्रशासन जागे और अनियमितताओं पर अंकुश लगाते हुए एक सशक्त, पारदर्शी व्यवस्था लागू करे।
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