सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने का विवरण होगा सार्वजनिक

नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की मतदाता सूची में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण और उनके नाम हटाने के कारणों को सार्वजनिक किया जाए। यह आदेश बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची को निष्पक्ष और सटीक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने 24 जून 2025 को निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।

कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निम्नलिखित निर्देश दिए:

  • हटाए गए मतदाताओं का बूथ-वार विवरण और नाम हटाने के कारण (जैसे मृत्यु, स्थानांतरण, या दोहरा पंजीकरण) जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट, पंचायत कार्यालयों, और ब्लॉक स्तर के नोटिस बोर्ड पर प्रकाशित करें।

  • स्थानीय समाचार पत्रों, टीवी, रेडियो, और सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी व्यापक जानकारी दी जाए।

  • प्रभावित मतदाताओं को अपने आधार कार्ड के साथ निर्वाचन अधिकारियों से संपर्क कर आपत्ति दर्ज करने की अनुमति दी जाए।

  • आयोग को 19 अगस्त 2025 तक विवरण प्रकाशित करने और 22 अगस्त 2025 तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश।

अगली सुनवाई 22 अगस्त 2025 को निर्धारित की गई है।

क्यों हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नाम?

निर्वाचन आयोग के अनुसार, 65.6 लाख मतदाताओं के नाम निम्न कारणों से हटाए गए:

  • मृत्यु: 22.34 लाख मतदाता।

  • स्थायी रूप से स्थानांतरित/अनुपस्थित: 36.28 लाख मतदाता।

  • दोहरा पंजीकरण: 7.01 लाख मतदाता।

हालांकि, याचिकाकर्ताओं, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) शामिल हैं, ने दावा किया कि यह प्रक्रिया गरीब और हाशिए पर रहने वाले मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है। उनका कहना है कि आधार और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार नहीं करने से कई वैध मतदाताओं के नाम हटाए गए।

लोजपा सांसद और उनके पति को नोटिस

निर्वाचन आयोग ने वैशाली से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद वीणा देवी और उनके पति, जदयू विधान परिषद सदस्य दिनेश सिंह को दो-दो मतदाता पहचान पत्र रखने के लिए नोटिस जारी किया। इस मुद्दे को राजद नेता तेजस्वी यादव ने उठाया था, जिसके बाद आयोग ने त्वरित कार्रवाई की।

राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले को ‘वोट चोरी’ करार देते हुए 17 अगस्त 2025 से बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक सीधी लड़ाई होगी।

निर्वाचन आयोग का जवाब

राहुल गांधी के आरोपों पर निर्वाचन आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर झूठा विमर्श गढ़ने के बजाय ठोस सबूत पेश किए जाने चाहिए। आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची को साफ करने की प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों के अनुसार की गई है।

कोर्ट की टिप्पणियाँ

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “मतदान का अधिकार नागरिकों का मौलिक अधिकार है और यह राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर निर्भर नहीं होना चाहिए।” जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने जोर दिया कि हटाए गए नामों की सूची को EPIC नंबर के साथ खोजने योग्य बनाया जाए, ताकि लोग आसानी से अपनी स्थिति जांच सकें।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए महत्व

यह आदेश बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची की विश्वसनीयता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। पारदर्शिता बढ़ाने और प्रभावित मतदाताओं को सुधार का अवसर देने से निर्वाचन प्रक्रिया में विश्वास बढ़ेगा।

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