नई दिल्ली, 12 अगस्त 2025। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि यदि कोई दोषी व्यक्ति अपनी सजा की निर्धारित अवधि पूरी करने के बाद भी जेल में बंद है और किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है, तो उसे तत्काल रिहा किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की रिहाई के मामले में सुनाया।
सुखदेव यादव की रिहाई का आदेश
न्यायालय ने पाया कि सुखदेव यादव ने मार्च 2025 तक बिना किसी छूट के 20 साल की सजा पूरी कर ली है। इसके बावजूद, वह जेल में बंद थे। पीठ ने उनके तत्काल रिहाई का आदेश दिया और इस मामले को आधार बनाकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए।
राज्यों को सख्त निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में यह सुनिश्चित करें कि कोई भी दोषी सजा की अवधि से अधिक समय तक जेल में न रहे। यदि कोई दोषी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है, तो कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए उनकी त्वरित रिहाई सुनिश्चित की जाए।
न्यायालय ने यह भी कहा कि इस आदेश की प्रति राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के सदस्य सचिव को भेजी जाए, ताकि इसे सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों तक पहुंचाया जा सके। यह कदम जेलों में अनावश्यक रूप से बंद व्यक्तियों की स्थिति की समीक्षा और उनकी रिहाई को सुगम बनाने के लिए उठाया गया है।
क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?
यह आदेश न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को मजबूत करता है, बल्कि जेल प्रशासन और कानूनी प्रणाली में सुधार की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। सजा पूरी होने के बाद भी जेल में बंद रहना न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह जेलों में भीड़भाड़ की समस्या को भी बढ़ाता है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस दिशा में सुधार की उम्मीद जगाता है।
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