कविता : बोलना उतना...! कवि - मनोहर बिल्लौरे 
जितने से काम सध जाए
न द्विविधा हो, न दुविधा
बात पते पर पहुँच जाए
घर भर पढ़ ले
बोलना उतना....!
  
जितना सुन लिया जाए
सुंनकर जिसे गुना-बुना जाए
दिल से लगा  रखा जाए
मन में बिठाकर जगा जाये
बोलना उतना...!!
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