नई दिल्ली, 16 अक्टूबर 2025। कैंसर जैसी घातक बीमारी को हराने की दिशा में एक क्रांतिकारी सफलता हासिल हुई है। मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय (UMass Amherst) के वैज्ञानिकों ने एक 'सुपर वैक्सीन' विकसित की है, जो प्रयोगशाला के चूहों में मेलेनोमा, अग्नाशय कैंसर और ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर जैसी आक्रामक बीमारियों को पूरी तरह रोक देती है। अध्ययन के अनुसार, टीकाकृत चूहों में 80-88% तक ट्यूमर-मुक्त रहने की दर दर्ज की गई, जबकि बिना टीके वाले चूहे 35 दिनों के अंदर कैंसर का शिकार हो गए। यह वैक्सीन न केवल नए ट्यूमर को रोकती है, बल्कि कैंसर के फैलाव (मेटास्टेसिस) को भी पूरी तरह नष्ट कर सकती है।
सुपर वैक्सीन कैसे काम करती है? नैनोपार्टिकल तकनीक का कमाल
यह प्रायोगिक वैक्सीन लिपिड-आधारित नैनोपार्टिकल 'सुपर एडजुवेंट' पर आधारित है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एक साथ कई रास्तों से सक्रिय करती है। वैक्सीन कैंसर-विशिष्ट एंटीजन (जैसे मेलेनोमा पेप्टाइड्स) को डिलीवर करती है, जिससे टी-सेल्स (प्रतिरक्षा कोशिकाएं) असामान्य कोशिकाओं को ट्यूमर बनने से पहले ही पहचान लेती हैं और नष्ट कर देती हैं। अध्ययन में, टीकाकृत चूहों को कैंसर कोशिकाओं के संपर्क में लाने के तीन सप्ताह बाद भी 80% चूहे 250 दिनों तक पूरी तरह स्वस्थ रहे।
दूसरे चरण में, शोधकर्ताओं ने ट्यूमर लाइसेट (मृत कैंसर कोशिकाएं) का उपयोग किया, जिसके परिणामस्वरूप 88% तक चूहे ट्यूमर-मुक्त रहे। खास बात यह है कि मेटास्टेसिस टेस्ट में, सुपर वैक्सीन वाले चूहों में फेफड़ों या अन्य अंगों में कैंसर का कोई प्रसार नहीं हुआ, जबकि नियंत्रण समूह में सभी प्रभावित हो गए। प्रमुख शोधकर्ता प्रभानी अतूकोराले, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की सहायक प्रोफेसर, ने कहा, "यह नैनोपार्टिकल डिजाइन कैंसर को रोकने में अभूतपूर्व उत्तरजीविता दर प्रदान करता है।"
वैक्सीन शरीर की अपनी कोशिकाओं से बनी है, जो पारंपरिक वैक्सीन से कहीं अधिक मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स उत्पन्न करती है। यह कई कैंसर प्रकारों (मेलेनोमा, पैंक्रियाटिक, ब्रेस्ट कैंसर) के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है, जो इसे एक 'प्लेटफॉर्म अप्रोच' बनाती है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष: चूहों में 100% मेटास्टेसिस रोकथाम
- मेलेनोमा मॉडल: 80% चूहे ट्यूमर-मुक्त, 250 दिनों तक उत्तरजीविता।
- पैंक्रियाटिक कैंसर: 88% ट्यूमर-मुक्त, कोई मेटास्टेसिस नहीं।
- ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर: पूर्ण रोकथाम, पारंपरिक वैक्सीन से बेहतर।
- पारंपरिक वैक्सीन या बिना टीके वाले चूहों में 35 दिनों में ट्यूमर विकसित हो गए।
यह अध्ययन 'सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन' जर्नल में 9 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित हुआ है। प्रमुख शोधकर्ता ग्रिफिन केन, पोस्टडॉकटोरल रिसर्चर, ने कहा, "टी-सेल रिस्पॉन्स ही उत्तरजीविता का मुख्य कारण है।"
मानव परीक्षणों की राह: दशकों का इंतजार, लेकिन उम्मीद की किरण
हालांकि पशु परीक्षणों में परिणाम आशाजनक हैं, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि मानव परीक्षण अभी शुरुआती चरण में हैं। अतिरिक्त सुरक्षा परीक्षणों में दशकों लग सकते हैं। फिर भी, यदि सफल रहा, तो यह वैक्सीन कैंसर से सालाना लाखों मौतों को रोक सकती है, खासकर उन मामलों में जहां मेटास्टेसिस प्रमुख कारण है। यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) द्वारा फंडेड यह शोध कैंसर रोकथाम में नई क्रांति ला सकता है।
कैंसर वैक्सीन: वैश्विक संदर्भ में भारत के लिए क्या मतलब?
भारत में हर साल 14 लाख नए कैंसर केस दर्ज होते हैं, जिनमें ब्रेस्ट और पैंक्रियाटिक कैंसर प्रमुख हैं। यदि यह वैक्सीन मानवों में सफल हुई, तो यह विकासशील देशों के लिए सस्ती कैंसर रोकथाम का माध्यम बन सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह HPV वैक्सीन जैसी सफलता दोहरा सकती है।

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